राधाकिशन दमानी: एक साधारण इंसान से भारत के रिटेल किंग तक की प्रेरणादायक यात्रा

राधाकिशन दमानी: एक साधारण इंसान से भारत के रिटेल किंग तक की प्रेरणादायक यात्रा

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राधाकिशन दमानी:

बड़े सपने: राधाकिशन दमानी की प्रेरणादायक यात्रा

सपने बड़े देखो। उन्हें पूरा करने के लिए आगे बढ़ो। कुछ भी आपको रोक नहीं सकता। जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, लेकिन यदि आप कुछ पर विश्वास करते हो तो उम्मीद बनाए रखें और लड़ते रहें। दूसरों को आपको हतोत्साहित करने दें। आज हम ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने साबित किया कि उम्र बस एक संख्या है। 32 साल की उम्र में भी करियर बदलना असाधारण नहीं है, और यह शख्स बिना किसी पूर्व अनुभव के ही शेयर मार्केट में उतर आया।

प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि
1955
में, राधाकिशन दमानी का जन्म राजस्थान के बीकानेर में मारवाड़ी परिवार में हुआ था। वे शिवकिशनजी दमानी के पुत्र हैं। 20 साल की उम्र में उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया क्योंकि वे व्यापार पर ध्यान केंद्रित करना चाहते थे। उनके माता-पिता ने उनके लिए शादी तय की। शादी से पहले वे अपने पिता के लिए बैल बेयरिंग की बिक्री करते थे। पिता के निधन के बाद उन्होंने यह व्यवसाय छोड़कर स्टॉक ब्रोकरेज में कदम रखा क्योंकि उनके चाचा भी इसी क्षेत्र में थे।

शेयर मार्केट में प्रवेश
फिर उन्होंने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) रिंग में ब्रोकरेज का काम शुरू किया। उन्होंने कड़ी मेहनत की, लेकिन जल्दी ही समझ गये कि केवल ब्रोकरेज करना बड़ा पैसा कमाने का रास्ता नहीं है। एक दिन BSE रिंग में एक ऐसा व्यक्ति आया, जिसे देखकर सब थोड़े डर और थोड़ा सम्मान से देखते थे। वह थे मनु मानेक, जो शेयर मार्केट में मंदी का रुख अपनाते थे और जिन्हें "किंग कोबरा" कहा जाता था। दमानी ने महसूस किया कि वह साधारण नहीं हैं और BSE रिंग में उनकी बहुत बड़ी पकड़ है।

मार्गदर्शकों से सीख
राधाकिशन दमानी ने ठाना कि वह भी ऐसे व्यक्ति के करीब रहेंगे, जिसकी ताकत सब कुछ बताते हुए दिखे। इस प्रकार वे मनु मानेक के समीप पहुंचे और उन्हें अपना मेंटर बनाया। दमानी को पता था कि सही सलाह के बिना पैसा कमाना मुश्किल है। उन्होंने मनु मानेक की नीतियों की नकल कर भारी लाभ कमाया। उन्होंने सीखा कि हर दिन ट्रेड करने की जरूरत नहीं, बल्कि सही मौके का इंतजार करना और उसे पूरी ताकत से अपनाना चाहिए। शॉर्ट सेलिंग द्वारा वे करोड़ों की कमाई करते रहे।

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सफल रणनीतियों को अपनाना
उनका तरीका सरल था: वे तेजी से बढ़ रहे स्टॉक्स की पहचान करते, उस समय तेज़ी से लाभ उठाने के लिए बुल्स ने उन कंपनियों को भारी कर्ज दिया होता। फिर जब स्टॉक अपने चरम पर पहुंचता, तो मनु मानेक और दमानी शॉर्ट सेलिंग शुरू करते। कर्ज पर चल रहे बुल्स डर की वजह से अपनी स्थिति ज्यादा दिन नहीं रख पाते। जब कुछ बुल्स स्टॉक बेचने लगते, तो बाजार घबराता और लंबे समय तक गिरावट शुरू होती, जिससे मनु मानेक की टीम को भारी मुनाफा होता।

राकेश झुनझुनवाला से मुलाकात
1987
में, एक युवा निवेशक राकेश झुनझुनवाला ने टाटा पावर का विश्लेषण दिखाया, लेकिन डलाल स्ट्रीट पर ध्यान नहीं मिला। राधाकिशन दमानी ने उनकी रिसर्च को सराहा और उन्हें मान्यता दी। बाद में झुनझुनवाला ने दमानी को मेंटर माना। दमानी ने उन्हें दो अहम बातें सिखाईं: कभी जोखिम उठाने से डरें, और याद रखें कि आपके जीवन में सिर्फ माता-पिता ही स्थायी हैं। उन्होंने झुनझुनवाला को कई महत्वपूर्ण सलाह दीं।

ब्राइटस्टार की स्थापना
1989
में दमानी ने अपना कारोबार ब्राइटस्टार स्थापित किया। दो-तीन साल में बड़ी कमाई की। वे अक्सर BSE रिंग जाकर बाज़ार की गतिविधियों को ध्यान से देखते थे। वे रोज़ निवेश नहीं करते थे, बल्कि सही मौके पर पूरी ताकत लगाते थे। उनके सफेद कपड़ों की वजह से उन्हें "व्हाइट मैन" कहा जाने लगा। शॉर्ट सेलिंग और 100X तक लीवरेज का उपयोग करके उन्होंने भारी धन कमाया।

हर्षद मेहता से टक्कर
इस दौरान मार्केट में हर्षद मेहता नामक एक बड़ा बुल भी उभरा। जहां दमानी और मानेक शॉर्ट पोजीशन बनाते, हर्षद भारी निवेश कर उन स्टॉक्स को रेस्क्यू करता। इस टकराव में दमानी की टीम ने हर्षद के एसबीआई से मिली वित्तीय अनियमितताओं का पता लगाकर एक प्रमुख न्यूज चैनल को सूचना दी। इससे बाजार में भारी गिरावट आई और दमानी की शॉर्ट पोजीशन भारी मुनाफे में तब्दील हो गई, जबकि झुनझुनवाला ने भी करोड़ों कमाए।

रिटेल व्यवसाय की ओर संक्रमण
हर्षद केस के बाद दमानी व्यापार से निवेश में आए। उन्होंने चंद्रकांत संपत जैसे विशेषज्ञों से सीखकर ITC, HDFC जैसे शेयरों में निवेश किया। फिर वे 15 मई 2002 को मुंबई के पवई में अपने हाइपरमार्केट चेन DMart की पहली शाखा खोलकर रिटेल क्षेत्र में कदम रखा। DMart की सफलता के पांच स्तंभ हैं: उत्पाद की विविधता, स्थान, ग्राहक सेवा, गुणवत्ता, और कीमत। इन पर आधारित रणनीति से DMart देश में प्रमुख रिटेल नेटवर्क बन गया।

विरासत और सफलता
फोर्ब्स के अनुसार, राधाकिशन दमानी भारत के 68वें सबसे अमीर व्यक्ति हैं, जिनकी नेट वर्थ दिसंबर 2022 तक 28 अरब डॉलर आंकी गई है। DMart लगातार बढ़ता जा रहा है और दमानी का नाम व्यापार और निवेश की दुनिया में प्रेरणास्त्रोत बन गया है।

प्रेरणा और विरासत
दमानी की कहानी दृढ़ता, रणनीतिक सोच और लगातार मेहनत की मिसाल है। वे एक साधारण परिवार से उठकर भारत के सबसे सफल निवेशकों और उद्यमियों में से एक बने। उनकी जीवनगाथा उन सभी के लिए प्रेरणा है जो चुनौतियों से जूझते हैं और ऊंचा लक्ष्य रखते हैं।

निष्कर्ष: प्रेरणा का प्रकाशस्तंभ
आज, राधाकिशन दमानी केवल धन संपन्न व्यक्ति हैं, बल्कि वे लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी हैं। उनकी कहानी यह सिखाती है कि सपने देखने और उन्हें पूरा करने के लिए उमंग, मेहनत, और स्पष्ट दृष्टि आवश्यक है। उनकी जीवनी हमें याद दिलाती है कि सफल होने के लिए धैर्य, आत्म-विश्वास और अथक प्रयास ही रास्ता हैं।

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